Tuesday 15 November 2016

वर्कर्स सोशलिस्ट पार्टी की अपील

खरबपतियों की दलाल, मोदी सरकार द्वारा, जनधन पर हमले के खिलाफ, मोर्चा खोलो!

नोटबंदी के खिलाफ देशभर में व्यापक संघर्ष छेड़ो!
देशी-विदेशी सभी बैंकों की बिना मुआवजा तुरंत जब्ती हो!
सभी बैंकों को मेहनतकश जनता के नियंत्रण में दो!  


अडानी-अम्बानी द्वारा निर्देशित मोदी सरकार ने, नोटबंदी के नाम पर जनधन पर खुला हमला बोल दिया है. दशकों में, आम मेहनतकश जनता ने जो कुछ भी जोड़ा-बचाया था, पूंजीपतियों ने, उस सबको ठग लेने के लिए जाल बिछाया है.
सत्ता और सरकार के शीर्ष पर बैठे लोगों ने, बैंकों में जमा जनधन से, आठ हज़ार करोड़ रुपये देकर, शराब व्यापारी विजय माल्या को देश से ही भगा दिया. कल गौतम अडानी को उससे भी बड़ा पैकेज दिया है. बैंकों में जमा, शेष लाखों-लाख करोड़ जनधन की भी इसी तरह, कॉर्पोरेट, मुनाफाखोरों और बड़े पूंजीपतियों को कर्जों और रियायतों के बतौर बन्दरबांट की जा रही है.

दशकों से, एक के बाद एक सत्ता में आई, पूंजीपतियों की दलाल सरकारों की इन नीतियों के चलते, इस साल के मध्य तक सरकारी खजाने और बैंक पूरी तरह खाली हो चुके थे. इस तिमाही में अकेले स्टेट बैंक का ही घाटा सौ फीसदी को छू रहा था. जनता के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई पूंजीपतियों, मुनाफाखोरों की तिजोरियों में पहुंच चुकी थी. लूटने के लिए बैंकों में, सरकारी खजानों में कुछ नहीं बचा था.

बैंकों को, और उनके जरिए पूंजीपतियों की अथाह तिजोरियों को फिर से भरने के लिए, मोदी सरकार ने आम मेहनतकश जनता पर, जनधन पर, खुला हमला बोल दिया है. काले धन के खिलाफ बताया जा रहा यह हमला, वास्तव में सरकार के मालिक काले धन वालों का जनता पर खुला हमला है.

काला धन और काला कारोबार, दोनों अरबपतियों के हाथ हैं और दशकों से सरकारों के शीर्ष पर बैठे नेताओं, अफसरों की मिलीभगत से चलाए जाते रहे हैं. काला धन, सफ़ेद धन का ही सह-उत्पाद है, जिसके जरिए इन पूंजीपतियों ने अकूत दौलत जमा की है. देश की मेहनतकश जनता ने इसका विरोध किया है, मगर सत्ता-सरकारों ने इसे संरक्षण दिया है.

काले कारोबार और काले धन के खिलाफ़ जनता के बीच फैले आक्रोश का लाभ उठाकर तमाम जनधन को हड़प लेने का कुटिल मास्टरप्लान मोदी सरकार ने तैयार किया है. नोटबंदी के नाम पर, आपके घरों में जोड़े-रखे गए तमाम नोटों को रातों-रात अचानक अवैध घोषित कर दिया गया है. आपको निर्देश दिए गए हैं कि रोज लाइन लगाकर इस धन को बैंकों को सौंप दें. साथ ही, इन बैंकों द्वारा पूंजीपतियों को कर्जे, सब्सीडी खुले हाथ बांटने का काम पहले की तरह ही बदस्तूर जारी है. देश में मेहनतकश जनता के लिए अघोषित आर्थिक आपातकाल लगा दिया गया है.           

पूंजीपतियों, मुनाफाखोरों की दलाल, मोदी सरकार, जनता पर, जनधन पर उन्मत्त हो टूट पड़ी है ताकि पूंजीपतियों की तिजोरियों को लबालब भरा जा सके.

काम धंधे और अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है. मेहनतकश लोग रोज़गार छोड़ बैंकों के बाहर भिखारियों की तरह लाइन बांधे खड़े हैं. ये लाइनें आए दिन बढती जा रही हैं. इस गोरखधंधे को चलाए रखने के लिए, जनता के आक्रोश को ठंडा करने के लिए, सरकार झूठे आश्वासन दे रही है.

सरकार और बड़े बैंकरों के बीच गहरी मिलीभगत है. सरकारी बैंकों पर पूंजीपतियों की दलाल सरकार का कब्ज़ा रहते, वे पूंजीपतियों की निजी तिजोरियों में बदल गए हैं. पक्ष-विपक्ष की, दक्षिण-वाम की सब पार्टियां, खुले-छिपे, सीधे-आड़े, इस जनविरोधी गठजोड़ को मदद दे रही हैं.

वर्कर्स सोशलिस्ट पार्टी, इस सरकारी ठगी के खिलाफ तुरंत उठ खड़े होने के लिए तमाम मेहनतकश जनता का आह्वान करती है, और मांग करती है कि:
१. नोटबंदी के आदेश को तुरंत रद्द किया जाय.
२. देशी-विदेशी, सभी निजी बैंकों का, बिना मुआवजा, तुरंत राष्ट्रीयकरण हो.   
३. तमाम बैंकों को मज़दूर वर्ग के सीधे नियंत्रण में रखा जाय.
इन मांगों को लेकर, पूरे देश में प्रदर्शन आयोजित करें और पूंजीपतियों की दलाल मोदी सरकार को खदेड़ बाहर कर मजदूर-किसान सरकार की स्थापना के लिए आगे बढ़ें.

वर्कर्स सोशलिस्ट पार्टी
संपर्क: 9810081383

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